कब बरसी सवनवाँ

कब बरसी सवनवाँ | कजरी

कब बरसी सवनवाँ

टप-टप चुवेला पसीनवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।

लुहिया के चलले से सूखेला कजरवा,
ऊपरा से नीचवाँ कब बरसी बदरवा।
गरमी से आवें न पजरवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।
टप-टप चुवेला पसीनवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।

ताल-तलइया,नदिया,पोखरी सुखैलीं,
अपने बलम के हम गोनरी सुतऊलीं।
चिरई जुड़ाई कब खोंतनवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।
टप-टप चुवेला पसीनवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।

बाग-बगइचा लोग लालच में कटलन,
ताल-तलइया,पोखरी मिल बाँट पटलन।
धुपिया से नाचेला कपरवा,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।
टप-टप चुवेला पसीनवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।

लागी नाहीं पेड़ पंचो आम का चुसाई,
नहीं होई रोपनी तव ओखरी का कुटाई।
सोहरी कब खेतवा में धनवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।
टप-टप चुवेला पसीनवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।

बरसत बदरवा तव डालित हम झुलवा,
खिली जात गोंदिया में हमरे भी फुलवा।
होई जात ठंडा ई अँगरवा,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।
टप-टप चुवेला पसीनवाँ,
हाय, कब बरसी सवनवाँ।

Ramakesh

रामकेश एम यादव (कवि, साहित्यकार)
( मुंबई )

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