कब मिला आज़म तक़दीर में प्यार है
कब मिला आज़म तक़दीर में प्यार है
कब मिला आज़म तक़दीर में प्यार है
हर किसी से मिली मुझको दरकार है
उठ रहा है दिल में नफ़रतों का शोला
लूंगा बदला कर गया जो दिल आजार है
हाल अपना किसी मैं सुनाऊँ भला
शहर में कोई अपना नहीं यार है
बात ऐसी गया वो सुना रात कल
कर गया नीद से आंखें बेदार है
कर दिया ख़त टुकड़े टुकड़े कल मेरा
कब लबों पे उसके प्यार इक़रार है
हो गया वो जुदा ऐसा मुझसे कहीं
उस चेहरे का नहीं होता दीदार है
फूल भेजा जिसे प्यार का था मैंनें
दोस्ती कर गया आज़म इंकार है
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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