ख़ुदग़र्ज़ | Khudgarz
ख़ुदग़र्ज़
( Khudgarz )
जिनको सिर्फ़ ख़ुद की आवाज़ सुनाई देती,
जिन्हें सिर्फ़ अपना किया ही है दिखाई देता,
ऐसे बेहिस लोगों से फिर क्या ही है बोलना,
वही अंधों के आगे रोना अपना दीदा खोना,
वो अपनी ही ख़्वाहिशातों के ग़ुलाम होते हैं,
अपनी ग़लती पेभी शाबाशी सरेआम लेते हैं,
अब हमें नहीं ‘भैंस के आगे बीन है बजाना’,
न रोना किसी के आगे न अपना दीदा खोना!
आश हम्द
( पटना )