कह देना चाहिए

( Kah dena chahiye ) 

 

जीवन में कह देना चाहिए
हां बहुत प्यार करते हैं
हम बच्चों को बहुत डांटते
गुस्सा तो कभी चिल्लाते हैं
हर काम पर उनके हम
सदा कमियां निकालते हैं
पर वह कब बड़े हो जाते हैं
वह बिगड़ ना जाए इसलिए
हम प्यार का इजहार करने
बहुत पीछे रह जाते हैं
जीवन में हम समर्पण और
त्याग प्रेम बहुत करते हैं
पर बच्चों से कभी भी अपने
प्यार का इजहार नहीं करते
कर देना चाहिए अभी और
इसी वक्त उतने ही जोर से
जितना उनसे नाराज होते हैं
शायद दूर जाकर भी वो
फिर मिलने वापस आ जाएं
कुछ प्यार भरी इजहार की
बातों को मुट्ठी में ले आ जाएं
यह हमारे प्यार भरी बातें ही
उन्हें फिर खींच कर ले आए
इसीलिए जितना गुस्सा करते
उन्हे इतना प्यार भी दर्शाये
हम चिल्लाते हैं उन पर तुम
कपड़े तर्तिब् से नहीं रखते
घर को व्यवस्थित करते-करते
हम उनसे शायद दूर हो जाते
जीवन भर अव्यवस्थित है
कहने वाले व्यवस्थित घर में
उसको ढूंढते रह जाते हैं
कभी उनके कपड़ों ,जुराबो
कभी उसके आने की
आहट और आवाजों को
जाहिर कर दो जो मन में
सच कहने से क्यों डरते हैं
हां तुम ही सब कुछ हो हमारे
आंख के तारे प्राण के प्यारे

 

डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )

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