क्यों आत्महत्या

( Kyon aatmahatya ) 

 

अपनी आकांक्षाओं का बोझ

बच्चों पर डाल उनमें ना खोज

अपनी असफलता की ग्लानि

 उन्हें अपमानित करते रोज

बैठा पूछो उनसे क्या चाहते

अपनी पसंद के विषय क्यों

उन पर थोपना  चाहते हो

रुचि जिसमें होगी उनकी

चुनकर सफल हो जाएगा

धैर्य से रास्ता वो पा जायेगा

जल की हर बूंद मोती नहीं

पर जल बिन जीवन भी नहीं विषाद ,

 अवसाद , खिन्नता , म्लानता , ग्लानि ,  नैराश्य

मे उनके साथी बन जाओ

हाथ थाम कदम तो बढ़ाओ

पंछी बन फिर उड़ जाएंगे

मंजिले नई तय कर पाएंगे

रुक जाए थोपने का यह दौर आत्महत्या करने वाले फिर

सोचेंगे और थम जाएंगे

खुशी के फूल खिल जाएंगे

 

डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश )

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