कल भी था कल भी रहेगा

( Kal bhi tha kal bhi rahega ) 

 

धन औ धरती का झमेला ,कल भी था ; कल भी रहेगा।

प्रेम – पत्री का बवेला , कल भी था ; कल भी रहेगा।।

 

संबंध चाहे जो बनाले इस जगत में जीव आके ,

चाँद – सूरज सा अकेला , कल भी था ; कल भी रहेगा।

 

तुम बड़े ज्ञानी हो जाओ , या हो जाओ भारी संत ,

मेरी नज़रों में गदेला , कल भी था ; कल भी रहेगा।

 

हम रहेँ या न रहें , क्या फ़र्क पड़ता है यहाँ ,

यादवों का यह तबेला , कल भी था ; कल भी रहेगा।

 

सोचते हो क्या तेरे आतंक से मुँह बंद कर लूँ ,

‘सोनकर ‘ जैसा बघेला , कल भी था ; कल भी रहेगा।

 

 

डॉ के.एल सोनकर ‘सौमित्र’
जिला महासचिव जौनपुर यूनिट ‘प्रलेस’
खुज्जी,कर्रा कॉलेज चंदवक,जौनपुर (यूपी)।

यह भी पढ़ें :-

हमारे शहर में | Hamare Shahar mein

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here