Kale badal kavita

काले बादल | Kale badal kavita

काले बादल

( Kale badal )

 

घिर आये सब बादल काले
ठंडी ठंडी बूंदों वाले
ताल तलैया सब भर जाओ
मेघ तुम घटाओ वाले

 

चहक उठे चमन सारे
प्रेम की बहती हो बहारें
खेतों में हरियाली छाई
खूब बरसो मेघा प्यारे

 

अधरों पर मुस्कान देकर
बूंदों से तन मन भिगोकर
मन मयूरा झूम के नाचे
खुशियों में मगन होकर

 

पर्वत नदिया मोर पपिहे
हर्षित हो रहे हैं सारे
खुशियों की सौगात लेकर
झूम के बरसों मेघा प्यारे

 

कारे कजरारे बादल सारे
घिर कर बरसो मेघा प्यारे
क्षितिज व्योम में छा जाओ
उमड़ घुमड़ कर आ जाओ

 

मूसलाधार गरज कर बरसो
रिमझिम बरस झड़ी लगाओ
अंबर में जब बिजली चमके
घनघोर घटा बन छा जाओ

 

नेह गंगा बहाकर आओ
घने मेघ बादल कजरारे
मतवाले आषाढ़ के बादल
टिप टिप बरसा मेघा प्यारे

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *