कलयुग के राम खंड पर

( Kalyug ke Ram khand par )

 

कलयुग के राम खंड पर,आरंभ अब प्रचंड कर

स्व प्रज्ञित अग्र कदम,
अंतरतम दृढ़ संकल्प ।
आज्ञा अनुपालन शिरोधार्य,
श्रम निष्ठ ध्येय प्रकल्प ।
नित गमन सत्य पथ,
अवरोध बाधा खंड खंड कर ।
कलयुग के राम खंड पर,आरंभ अब प्रचंड कर ।।

राघव मर्यादा वैदेही शील,
सह्रदय सहर्ष आत्मसात ।
चरित्र ओज नवल धवल,
आदर्श अधिगम साक्षात ।
आहूत सकारात्मक सोच ऊर्जा,
सर्व मंगल साधना अखंड कर ।
कलयुग के राम खंड पर,आरंभ अब प्रचंड कर ।।

तज नैराश्य भाव भंगिमा,
उत्साह उमंग जोश जगा ।
आशा किरण ज्योत तले,
क्रोध वैमनस्य भय भगा ।
मैत्री अपनत्व परिवेश उत्संग,
जीवन अनुपमा मार्तंड भर।
कलयुग के राम खंड पर,आरंभ अब प्रचंड कर।।

सद्गुण सात्विकता पताका,
अंतर्मन पटल नव्य लहरा ।
स्वच्छ स्वस्थ आचार विचार ,
व्यवहार सद्चरित ध्वज फहरा ।
वंदन निज संस्कृति संस्कार परंपरा,
समग्र प्रगति अथक प्रयास मंड ।।
कलयुग के राम खंड पर,आरंभ अब प्रचंड कर ।।

 

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

यह भी पढ़ें:-

प्रतिद्वंदी संसार | Pratidwandi Sansaar

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here