Kamal

कमल खिलाना ही होगा | Kamal

कमल खिलाना ही होगा

( Kamal khilna hi hoga ) 

 

सकल जगत कल्याण हेतु तुमकों आगे आना होगा।
हिन्दू हो हिन्दू के मन में, रिद्धंम जगाना ही होगा।

भारत गौरव का इतिहास, पुनः दोहराना ही होगा।
भय त्याग के हिन्दू बनकर, तुम्हे सामने आना होगा।

दबी हुई गरिमा गौरव से, गर्त हटाना ही होगा।
आओ साथ मेरे अब मिल, हिन्दू को जगाना ही होगा।

तेरे साहस तेरे हिम्मत से, भारत का मान बढेगा।
कलुषित सोच के गद्दारों का,दिव्य धरा से नाम मिटेगा।

रामराज्य की उच्च सोच से, मन महाकाना ही होगा।
आओ मिलकर साथ बढों,अब कमल खिलाना ही होगा।

तुमको तय करना होगा की, धर्म मिटे या सजग जगे।
तुमकों ही तय करना होगा, शिखा कटे या धर्म रहे।

तेरे एक वोट के कारण, भारत गौरव पुनः जगा।
नजर उठा कर देख तो ले,भगवा से सारा विश्व पटा।

लोभ त्याग कर सच्चे मन से, अलख जगाना ही होगा।
आओ मिलकर साथ मेरे, फिर कमल खिलाना ही होगा।

मन से मन को जोड के रखना,जाति पंथ को छोड़ सभी।
नही श्रृंखला टूटे मत का, जबतक ना हो विजय रथि।

दिव्य विजय का परचम फिर, नभ मे लहराना ही होगा।
आओ मिल हुंकार लो अब फिर,कमल खिलाना ही हो

 

कवि शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

यह भी पढ़ें : –

सम्पूर्ण भारत | Sampurn Bharat

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *