
आज पैसा बड़ा हो गया प्यार से
( Aaj paisa bada ho gaya pyar se )
आज पैसा बड़ा हो गया है प्यार से,
यह सचमुच बता रहें हम ईमान से।
ना करते बुजुर्गो का आदर सत्कार,
भाई से भाई बिछड़ रहें टकरार से।।
अमीरों से रिश्ते बनाना चाहते सब,
न जाने कहां खो गए वो दिन अब।
अपने को अपना पहचान नही रहा,
सादा जीवन छोड़ फ़ैशन में है सब।।
मोबाइल व गाड़ी हो सभी के पास,
इनके बिना जीना आता नही रास।
आज पैसो मे मिल रही है हर चीज़,
प्यार से लेकर यह रिश्तों की प्रीत।।
आनें वाली पीढ़ी को न दे नज़राना,
थोड़ा पहचाने अपना कौन बेगाना।
हमे देख प्रकृति भी बदल रही रंग,
नही करना पैसे के चक्कर में जंग।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )
यह भी पढ़ें :-