Sampurn Bharat
Sampurn Bharat

सम्पूर्ण भारत

( Sampurn Bharat )

 

बिना सिन्ध के हिन्द कहाँ है, रावी बिन पंजाब नही।
गंगा कैसे सुखी रहेगी, जब तक संग चिनाब नही।

हिंगलाज के बिना भवानी,कटासराज बिन शिव शंम्भू,
गिलगित और गार्रो की घाटी,बिन भारत सम्पूर्ण नही।

ढाका के मलमल के बिना, भारत माता सँवरे कैसे।
तक्षशिला गंधार बिना ये, रूप भला निखरे कैसे।

मानसरोवर बिना बताओ, भारत जय होगा कैसे,
वर्मा का इतिहास खंगालों, तब जानोगे क्यो कैसे।

तोड दिया खण्डों खण्डों में, भारत माता सिसक रही।
मिली हुई है जो आजादी, वो मेरी सम्पूर्ण नही।

भारत जय हो विजय सदा,उस दिन ये गीत मैं गाऊंगा।
जब भारत को सम्पूर्ण समागम,रूप में वापस लाऊंगा।

 

कवि :  शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

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