कमरा
( Kamra )
अनायास
तीव्र वेग से मेरे कमरे में
आकर हवा ने
हलचल मचा दी
और
परदे ने लहराकर
मेरे टेबिल पर
रखी कांच से मढ़ी
फ्रेम हुई
तस्वीर को
गिरा दिया
साथ ही
वही रखी हुई
मियाज के
पन्नों ने फड़फड़ाकर
हलचल मचा दी
और फिर
वही रखी हुई
इंक की बोतल ने
उन सारे पन्नों
को अपने रंग में
रंग लिया।
वहीं कहीं दीवार
पर लटकी
तस्वीर ने
मुँह घुमाकर कहा–
हवा से
ऐसे ही तुम
फिर कई-कई
बार आना
मेरे
इस बंद कमरे में
अपना होने का
अहसास
दिलाती जाना।।
डॉ पल्लवी सिंह ‘अनुमेहा’
लेखिका एवं कवयित्री
बैतूल ( मप्र )
- मियाज- पुस्तक या किताब