Kanghi par kavita
Kanghi par kavita

कंघी का महत्व

( Kanghi ka mahatva )

 

फैशन के दीवानों को,
मन के अरमानों को।
सजने सवरने का,
मौका जरा दीजिए।

 

गंजे को भी बेच सके,
चीज वो कमाल की।
केसों को भी संवारिए,
कंघी कर लीजिए।

 

सजने का शौक हमें,
संवरने का चाव भी।
चार चांद चेहरे पे,
कंघी जरा कीजिए।

 

नारियों को शौक भारी,
रूप और श्रंगार का।
केश मार्जनी ले केश,
निखार भी लीजिए।

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कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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