
कान्हा प्यारी छवि तेरी
( Kanha pyari chhavi teri )
खुशियों से दामन भर जाए दीप जलाने लाया हूं।
मुरली मोहन माधव प्यारे झोली फैलाये आया हूं।
मन मंदिर में बंसी केशव मधुर सुहानी तान लगे।
कान्हा की प्यारी छवि मोहिनी मूरत श्याम लगे।
लेखनी की ज्योत ले माधव तुझे रिझाने आया हूं।
शब्दों की माला पिरो केशव पुष्प चढ़ाने लाया हूं।
दामोदर गिरधर बनवारी नटवरनागर नंद बिहारी।
मोरमुकुट सुदर्शनधारी प्यारे मोहन जग बलिहारी।
सखा सुदामा आता माधव मुदित हो दौड़ा जाता।
भक्तों का भगवान सहारा मोद भरे मेघ बरसाता।
दीनदयाल दयानिधि मेरे छाए है घनघोर अंधेरे।
मंझधार पतवार अटकी दूर करो सब संकट मेरे।
तेरी कृपा से जग में कीर्ति पताका ध्वजा लहराए।
सुखसागर आप प्रभु जीवन में आनंद छा जाए।
बजे चैन की बांसुरी मोहित हो जग सारा गाये।
राधे गोविंद राधे गोविंद मन में स्वर मधुरम आए।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
सादर प्रणाम मान्यवर