कन्या और दान

कन्या और दान | shadi poem in hindi

*कन्या और दान*

( Kanya Or Daan )

 

 जबसे बिटिया हुई सयान

चिंता में है बाप की जान

 नित्य  धरावे  नारी  ध्यान

 जल्दी कर दो कन्यादान

 घर -वर ढूढ़े फिर बाप परेशान

कहां   मिले   अच्छा  मेहमान

घर मिले अच्छा तो वर नहीं अच्छा

बर  मिले  अच्छा तो घर नहीं अच्छा

घर- वर अच्छा तब मांग है भारी

लागे   दहेज   का   सच्चा  पुजारी

इंटर में पढ़े जो मांगे वह गाड़ी

चाहे  न  आंटे  बीवी  की साड़ी

बीए  करे  जो  वह  मांगे  कार

शादी  करें  चाहे  लेके  उधार

नौकरी वाले का मिले नहीं भाव

धरती पर उसका पड़े नहीं पांव

काला हो चेहरा रावण की  सूरत

लड़की  चाहे अजंता  की  मूरत

इसी तरह चलता रहे जब व्यापार

कैसे हो बाप फिर बिटिया से पार

एक  दान  हो तो करें कुछ इंसान

कन्या के साथ यहाँ कितने है दान

सोचो  अब  भैया  नोचो  न  जान

शादी  करो  पर  हरो  नहीं  प्रान

 

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कवि : रुपेश कुमार यादव ” रूप ”
औराई, भदोही
( उत्तर प्रदेश।)

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