
फूलों का रंग रखिए,बरकरार हमेशा
( Phoolon Ka Rang Rakhiye, Barkarar Hamesha )
फूलों का रंग रखिए, बरकरार हमेशा।
इस वास्ते गुलशन से करें,प्यार हमेशा।
कौन मौज में यहां, है मुफलिसी में कौन,
यही जानने को पढ़िए,अखबार हमेशा।
जिसके ज़िगर में हौसलों का रंग नहीं है।
वो शख्स ही बदरंग है, लाचार हमेशा।
गर चाहते हैं ज़िन्दगी की,जंग पे फतह,
बस कीजिए कलम को,तलवार हमेशा।
औरत के लिए मन में,जो मान न रक्खे,
समझा करे वो जिस्म को,बाजार हमेशा।
कवि : बिनोद बेगाना
जमशेदपुर, झारखंड