Karen phir gulshan ko gulzar
Karen phir gulshan ko gulzar

करें फिर गुलशन को गुलजार

( Karen phir gulshan ko gulzar )

 

जीवन में आती रहे बहार

खिल उठे सपनों का संसार

झूमे नाचे ओ मेरे यार

करें फिर गुलशन को गुलजार

करें फिर गुलशन……..

 

कदम कदम पर प्यार के मोती

 चले बांटते राहों में

प्रेम की गंगा बहाते सारे

शहरों और गांवों में

फूलों की खुशबू से कर ले

दिलों का चमन बहार

मन की सब दूरियां मिटायें

करें फिर गुलशन को गुलजार

करें फिर गुलशन……..

 

मुश्किलों में भी मिले हम

खिलते फूल चमन के

तूफानों में भी पले हम

गाए गीत वतन के

जगमग दीप बने दिवाली

होली सा रंगों का त्योहार

इक दूजे के गले मिले हम

करें फिर गुलशन को गुलजार

करें फिर गुलशन……..

 

अपनापन अनमोल बांट दे

सबको दिल का प्यार

हंसता खिलता महक उठे

अपना जीवन संसार

मुस्कानों के मोती सबके

चेहरों का बने श्रंगार

मन मयूरा झूम के नाचे

करें फिर गुलशन को गुलजार

करें फिर गुलशन……..

 

सद्भावों की लहर चले

फागुन सी मस्त बहार

ठंडी ठंडी पुरवाई हो

बरसे अमृत रसधार

मस्त पवन का झोंका आए

उमंग भरी बयार

हिल मिलकर सब साथ रहे

करें फिर गुलशन को गुलजार

करें फिर गुलशन……..

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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