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कर्मफल
( Karmaphal )
आपके चतुर्विध
सोच और कर्म का निष्कर्ष ही
कहलाता है कर्मफल
यही है आपका भाग्य या प्रारब्ध….
कर्मों का परिणाम
उदित होता है समय अनुसार ही
जिसके प्रभाव ही
करते हैं संचालित आपके वर्तमान को
और आप बढ़ते है कल की ओर….
भाग्य ,आपका भविष्य नही
वर्तमान भी पूर्ण नही
यह तो एक अवसर है
ठोस बुनियाद के निर्माण का
निर्णय तो आपको लेना है….
वस्तु का मूल्य चुकाना ही होगा
आपकी जरूरत या चाहत से
मूल्य से सरोकार नहीं होता
न ही कोई छूट होती है…
भाग्य का रोना
आपके दुर्बलता की
एक और मिसाल न बन जाए
जिसका कर्मफल फिर बाधित करे
यह सोचना आपकी अपनी
जिम्मेदारी है
जिसका कोई भागीदार नही होता…
( मुंबई )