ले गया सकूँ

( Le gaya sukoon ) 

 

न रही उसको अब उल्फ़त है ?
ले गया सकूँ सब राहत है

चोट लगी ऐसी दग़ा की कल
अब उल्फ़त दिल से रुख़सत है

गुल न लिया चाहत का उसने
टूटी दिल की ही हसरत है

उल्फ़त में ऐसा टूटा दिल
न यहाँ दिल को अब फ़ुरसत है

हिज्र का दर्द मिला है ऐसा
दिल में होती अब गफ़लत है

उसने जानें से ए गीता
दिल में हर पल ही ख़लवत है

 

गीता शर्मा 

( हिमाचल प्रदेश )

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