कार्तिक मास पूर्णिमा | Kartik Maas Purnima
कार्तिक मास पूर्णिमा
( Kartik maas purnima )
कार्तिक माह की पूर्णिमा तू चांद बन कर आ,
ख़ुशी की रोशनी दे हमें उजाला बनकर आ।
स्नान व दान करने से मिलती है बहुत अनुभूति,
इस पावन अवसर पर्व पर पूर्णिमा तेरी ही प्रतिति।
होती पूजा इस मौके पर इस दिन भगवान विष्णु की,
प्रलय पार कर होना तूने भक्ति कर भगवान विष्णु की।
भोलेनाथ ने इस दिन पापी त्रिपुरासुर का वध किया,
व्रत रखती मन्नत मांगती अर्चना कर करबद्ध किया।
हंसी आपकी चेहरे पर से ना जाए यही दुआ है मेरी,
भाईचारा और मेल-मिलाप रह सदा ना हो मेरा-मेरी।
जप हरि लगा डुबकी गंगा में तू करता चल स्नान,
हरि मिलेंगे एक दिन रटता रटता चल हरि गुणगान।
फूल खिलते रहे हमेशा जीवन में यह है मेरी कामना,
दुःख – दर्द तकलीफ भरी जिंदगी से ना कभी हो सामना।
खान मनजीत तू शुक्रिया अदा कर उस प्यारे खुदा को,
रोज़गार करते हुए जीवन में ना मानवता किसी से जुदा हो ।
मनजीत सिंह
सहायक प्राध्यापक उर्दू
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ( कुरुक्षेत्र )
Very nice poetry sir