Sard hawayein kavita
Sard hawayein kavita

सर्द हवाएं

( Sard hawayein )

 

सर्द हवाएं ठंडी ठंडी तन ठिठुरन सी हो जाती है
कंपकंपी छूटती तन बदन में सर्दी खूब सताती है

 

ठंडा माह दिसंबर का सर्दी का कोप बड़ा भारी
कोहरा धुंध ओस आये होती कहीं बर्फबारी

 

बस दुबके रहो रजाई में अलाव कहीं जला देना
स्वेटर मफलर कोट ले सिर पर टोपी लगा लेना

 

सर्द हवाएं तन को लगती तीरों और तलवारों सी
गर्म जलेबी मूंगफली मेवा रौनक करें बाजारों की

 

ठंडी हवा का झोंका जब तन मन को छूकर जाता
सिहरन सी उर रूठती सारा बदन कांप जाता

 

शीत लहर सर्द हवाएं जगह-जगह पाला जमता
कंबल रजाई राहत देती आग जला जोगी रमता

 

शीतलता से नववर्ष का सुंदर सा स्वागत कर लो
करुणा प्रेम दया अनुराग भावों में देश प्रेम भर लो

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

हम मिले थे आपसे वो जमाना याद है | Geet

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here