Lehar

लहर

( Lehar )

 

सागर की उठती गिरती लहरें भी
देती हैं सीख हमे जीवन की
करना है तैयार अगर मोती
तो धरनी होगी राह संघर्ष की

पर्याय नही कुछ सिवा प्रयास के
रखना होगा विश्वास खुद पर भी
वक्त के साथ संयम भी चाहिए
सतत प्रयास करते रहना चाहिए

कल कोरी कल्पना ही नही
कल के लिए ही चलना होगा
आज तो यह गुजर जाएगा ही
कल का आना निश्चित होगा

रात ही गढ़ती है प्रहर भोर का
संगीत मे भी साथ है शोर का
चलने मे ही तो मजा है सफर का
मिलता है मुकाम , फेर है नजर का

बूंद थी कभी लहर हूं आज
लहर ही नही अब सागर हूं मैं
किनारे तो महज बहाने हैं मेरे
गहराई भी मैं अथाह हूं आज

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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