Karwa Chauth ka Vrat
Karwa Chauth ka Vrat

करवा चौथ का व्रत

( Karwa Chauth ka Vrat ) 

 

पति की लंबी आयु के लिए पत्नी करे उपवास,
स्वस्थ निरोगी एवं सलामत रहे सजन का साथ।
कार्तिक मास में कृष्णपक्ष की चतुर्थी को आऍं,
चाॅंद देखकर ये व्रत खोलती स्त्रियाॅं करवाचौथ।।

अखण्ड सौभाग्यवती होने का वर सभी चाहती,
माॅं पार्वती को पूजकर सुख की कामना करती।
हरदिन नूतन खुशियाॅं लाऐ यह आने वाला पल,
करवाचौथ का चाॅंद सुरीला निकलता निश्छल।।

दो शब्दों से मिलकर बना है ये पर्व करवा चौथ,
करवा कहते मिट्टी के बर्तन चतुर्थी कहते चौथ।
माथे बिन्दियाॅं चमके और हाथों मे चूड़ी खनके,
बने रहे मजबूत प्यारे रिस्ते पायल सदा छनके।।

दुनियाॅं की भीड़ में सबसे करीबी यही है दोस्त,
उम्र‌भर का साथ यही निभाती होती ऐसी प्रित।
आ जाओ अब झलक दिखाओ प्रियतम प्यारे,
करवाचौथ की प्रित निभाओ यही है ऐसी रीत।।

चंद्रमा सी स्वयं वो सजती सौलह श्रृॅंगार करती,
चन्द्रदर्शन कर पूजा करती पति से पानी पीती।
विवाहिता स्त्रियाॅं पूजन करती मेहंदी है प्रतीक,
साजन की दीर्घायु हेतु सिंदूर माॅंग में ये भरती।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here