काश (कांस) के फूल

काश (कांस) के फूल

काश (कांस) के फूल

बचपन से मैनें देखा है,काश के फूलों को खिलखिलाते।
सफेद सफेद काश के फूल,हवा के झोकों से लहराते।
खेत के मेड़ों में,खुले मैदान पर,नदी किनारे,घाट पहाड़ पर।
जब काश के फूल खिलते,वर्षा विदाई का संकेत दे जाते।1।

रुई-सी सफेद काश के फूल,धरती का नया परिधान है।
अपनी ख्वाहिशों की तरह बिखर जाने का अभिमान है।
कोमलांगी काश के फूल ज्यों बल खा रही,लहरा रही।
देवगणों का स्वागत,माँ दुर्गा के आगमन का सम्मान है।2।

काश के फूल के जैसा,कोमल नाजुक मन खिल जाता है।
खुशियों की बूँदों से संवेदना भरभरकर महक जाता है।
गमों दुखों की बारिश में,मायूस हो मन झुक जाता है।
जब दिखे उम्मीदों के किरण,जोश से आगे बढ़ जाता है।3।

सुन्दर लाल डडसेना”मधुर”
ग्राम- बाराडोली,पोस्ट-पाटसेन्द्री, तह.-सरायपाली,जिला

महासमुंद (छ.ग.) पिन नं- 493558

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