कवि और कुत्ता
कवि और कुत्ता
मैं कवि हूॅं,
आधुनिक कवि हूॅं।
शब्दों का सरदार हूॅं,
बेइमानों में ईमानदार हूॅं ।
नेताओं का बखान करता हूॅं,
सरकार का गुणगान करता हूॅं,
योजनाओं की प्रशंसा करता हूॅं,
फायदे का धंधा करता हूॅं,
डर महराज का है
पीले यमराज का है।
मैं संयोजक हूॅं
सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस का,
मुझे महारत है रंग बदलने का,
किसी मौसम, किसी परिवेश का,
उधार में लिखता नहीं हूॅं,
सबको लगता हैं बिकता नहीं हूॅं,
कमाल भरी जेब का है,
सही रेट का है,
खाली पेट का है,
सेवा सत्कार का है
अच्छे-अच्छे पुरस्कार का है।
मैं चाहूं तो
राहुल को रत्न बना दूं,
मुलायम को सख्त बना दूं,
योगी आसक्त बना दूं,
माया को भक्त बना दूं,
जितना रस पाता हूॅं,
उतना गुर्राता हूॅं,
जो फेंक देते हैं,
माथे चढ़ाता हूॅं,
जिनकी खाऊं उनकी बकता हूॅं,
अजी मैं वफ़ादार कुत्ता हूॅं।

अजय जायसवाल ‘अनहद’
श्री हनुमत इंटर कॉलेज धम्मौर
सुलतानपुर उत्तर प्रदेश