कवि साहित्यिक सफर | Kavi ki sahityik safar par kavita
कवि साहित्यिक सफर
( Kavi sahityik safar )
दिनकर जी की रचना ने भरा दिव्य आलोक।
मुझको कवि बना दिया बाल्यकाल का शौक।
सुधी डॉ के डी यादव सुन हुये प्रफुल्लित भारी।
लेखन में फिर कलम चली सीखी विधाएं सारी।
दो हजार दशम दौर लेखनी चलती रही निरंतर।
कलम साधकों के दर्शन कर मिटा घट का अंतर।
साझा संग्रह पत्रिकाओं में रचनाएं छप जब आई।
हरियाणा उत्तराखंड में जा मंचो पे कविता सुनाई।
आकाशवाणी जयपुर से दो बार मिला है मौका।
राजस्थानी भाषा प्यारी मधुर बोल सुहाना चोखा।
दोहा मुक्तक गीत काव्य की बहती चली बयार।
शब्द सुधा वाणी कृपा से जग मिला नेह अपार।
वीर रस रचना प्रमुख ओज भरती कलम हूंकार।
नवल धरा नवलगढ़ भूमि वीरों भामाशाह भंडार।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )