
कवि की दुनिया जैसे न्यारी है
( Kavi ki duniya jaise nyari hai )
शब्द-शब्द पिरोकर लेखक बुक माला बना देते,
भाव अपनें मन के ये इसी क़लम से लिख देते।
इन कवियों की दुनिया सब से अलग हीं लगती,
कविता से कहानी कहानी से कविता बना देते।।
कल्पना से सोचकर लेखक लेख भी लिख देते,
कभी हकीकत दुःख सुख गम उसमें दर्शा देते।
दुनिया की हर छोटी एवं बड़ी बात यें लिख देते,
बचपन जवानी वृद्धावस्था का दर्पण दर्शा देते।।
प्रकृति की सुंदरता एवं दिल के अरमान दर्शातें,
अपना सुख और चैन खोकर प्रेम भाव जगाते।
देशहित के लिए अपनें विचार सामने यह लाते,
कभी अपनें शब्दों से हॅंसाते कभी यह रूलाते।।
कोई कहते कवियों की दुनिया यह न्यारी होती,
एवं कोई कहते इनकी दुनिया प्यारी भी होती।
कभी इनकी कलम तलवार सा जौहर दिखाती,
तो कभी-कभी ढाल बनकर सुरक्षा भी करती।।
रचनाकार :गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )