Rishte kavita
Rishte kavita

“पहले के रिश्ते”

( Pahale ke rishte )

 

पहले के लोगो में रिश्तो का ज्ञान था
औरत की इज्जत का सबको ध्यान था।

 

बड़े और छोटों की घर में थी पहचान
कच्चे थे घर उनके मगर पक्के थे ईमान।

 

मान सम्मान से बंधी थी रिश्तो की डोरी
विश्वास और मर्यादा में नहीं थी कमजोरी।

 

छोटे बड़ों का, हमेशा करते थे सम्मान
बड़े भी नहीं छोटे का करते थे अपमान।

 

बड़े बुजुर्गों का घर में हमेसा पहरा था
लेकिन रिश्ते में विश्वास भी बहुत गहरा था।

 

बहू बेटियां हो या देवरानी और जेठानी
कभी नहीं करती थी घर में मनमानी।

 

पुरुष भी अपनी जिम्मेदारियां निभाते थे
महिला और पुरुष में कितने अच्छे नाते थे।

 

लोग गरीब थे मगर संस्कार अमीर था
कपड़े नहीं थे मगर मरा नहीं जमीर था।

 

कवि : रुपेश कुमार यादव ” रूप ”
औराई, भदोही
( उत्तर प्रदेश।)

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