Kavita Amma yaad Aayi

अम्मा याद आईं | Kavita Amma Yaad Aayi

अम्मा याद आईं

( Amma yaad Aayi )

 

अबकी होली में ‌

न जाने क्यों
अम्मा याद आईं,
मेरे पास कोई ऐसा भी नंबर होता,
जो उससे भी बात हो पाती ,
उस देश का पता होता,
जहां वो चली गई है,
तो जरूर उसे,
एक चिट्ठी लिखता,
उसे लिखता कि,
तेरे बिन यह जिंदगी,
बड़ी सूनी सूनी सी हो गई हैं मां ।
उसे लिखता कि ,
तेरे जाने के बाद
तेरी बहू भी,
तेरी तरह बिन भोजन किए,
कभी भूखे पेट नहीं जाने देती हैं।
बताता कि,
तेरे जाने के बाद,
एक प्यारी सी गुड़िया ने,
जन्म लिया है,
जो आपको बहुत याद करती हैं,
बाबू तो तेरी सूरत,
हर बूढ़ी मां में देखता है,
कही वह हमारी माई तो नहीं हैं।
जिंदगी में आज सब कुछ है,
बस तेरी सूरत नहीं दिखाई देती हैं मां।
मैं लिखता कि,
तेरे जाने के बाद,
छोटी दीदी की मांग सूनी हो गई,
रो रो कर,
उसके चेहरे का रंग उतर गया है।
उसे लिखता कि,
भैया, भाभी, बच्चे सब
बहुत याद करते हैं।
उसे लिखता कि,
जिस आशियाने को बनाने में,
तूने सारी जिंदगी लगा दी थी,
जिसका गृहप्रवेश देखें बिना,
तू चली गई,
वह विकास के नाम पर,
टूटने वाला है।
उसे लिखता कि,
जब से तू गई है,
कुछ कुछ सुधरने का,
प्रयास कर रहा हूं -मां!
जब जब भी जीवन में,
दुःख बढ़ जाता है,
तू ही याद आती है मां।

योगाचार्य धर्मचंद्र जी
नरई फूलपुर ( प्रयागराज )

यह भी पढ़ें :-

खेवनहार | Sansmaran Khevan Haar

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *