अनहोनी | Kavita anhoni
अनहोनी
( Anhoni )
अनहोनी सी घट रही अब दो देशों की लड़ाई में
विश्वयुद्ध के कगार पे जग सदी जा रही खाई में
लड़ाकू विमान बमबारी विध्वंसक तबाही लाते
महासमर होता तभी आपस में मतभेद हो जाते
जब युद्ध छिड़ा आपस में भीषण नरसंहार हुआ
शहर के शहर खत्म हो गए लहू फिर अंगार हुआ
विधि का विधान हो या नियति का खेल हो प्यारे
अनहोनी होती तभी ग्रह नक्षत्र हो विपरीत हमारे
कभी-कभी अनहोनी भी बनती सुखों का कारण है
प्रारब्ध छुपा होता है इसमें ना होता ये अकारण है
कहीं टूटता पहाड़ दुखों का अनहोनी घटना लेकर
सिर का साया उठ जाता अटूट प्यार अपना देकर
हे प्रभु सबकी रक्षा करना सारे जग के पालनहार
अनहोनी को सुख का सागर कर देना जग करतार
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )