Holi kavita
Holi kavita

होली आई रे, होली आई

( Holi aayi re, holi aayi )

 

गोरा गोरा गाल गुलाबी, गोरी रंग लेकर आई।
फागुन आयो रंग रंगीलो, उर उमंग मस्ती छाई।

 

रसिया नाचे ढप बजावे, आज बिरज में होली है।
गीत सुनावे फाग गावे, भीगे चुनर चोली है।

 

मुरली की धुन छेड़े कान्हा, राधा रंग ले आई है।
फूलों की होली भावन सी बयार बसंती आई है।

 

झूम झूम सब राग सुनाते, मस्ताना मौसम आया।
फागुन ने छेड़ी धुन प्यारी, दुनिया में आनंद छाया।

 

प्रीत रंग में रंगी राधिका, मोहन मुरली वाला है।
थिरक रहे सारे बृजवासी, नाच रही हर बाला है।

 

खुशियों की बरसात में, घर-घर आनंद छाया है
रंगों की छटा निराली, उत्सव होली का आया है।

 

महक गए चमन सारे, दिलों में उमंगे छाई।
प्यार भरे तराने होठों पे, होली आई रे होली आई।

   ?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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