छलकती जवानी | Kavita Chalakti jawani
छलकती जवानी
( Chalakti jawani )
जुल्फों में खोने के दिन देखो आए,
निगाहों से पीने के दिन देखो आए।
छलकती जवानी पे दिल उसका आया,
छूकर बदन मेरा दिल वो चुराया।
सुलगती अगन को कैसे दबाएँ,
निगाहों से पीने के दिन देखो आए,
जुल्फों में खोने के दिन देखो आए।
मेरी जिन्दगी का देखो वो कल है,
किससे गिला करें ये मस्ती का पल है।
महकते इन होंठों से कैसे बुलाएँ,
निगाहों से पीने के दिन देखो आए,
जुल्फों में खोने के दिन देखो आए।
तरसते हैं कितने जवाँ फूल देखो,
छायी खुशी पे न कोई धूल फेकों।
गमकेंगी रातें चलो आँखें बिछाएँ,
निगाहों से पीने के दिन देखो आए,
जुल्फों में खोने के दिन देखो आए।
रामकेश एम.यादव (रायल्टी प्राप्त कवि व लेखक),मुंबई