दादाजी | Kavita Dada Ji
दादाजी
( Dada Ji )
दादाजी बड़े विद्वान
चलते सीना तान l
हाथ में छाता
उनकी पहचान l
मुछे रखते तान
सुबह सैर सपाटे में जाते l
बैठ पेड़ की छांव
आराम फरमाते l
छतरी के गुणों का
करे बखान l
छतरी में गुण तीन
धूप से बचाए
बारिश से बचाए l
उचका लुचा, कुत्ता
निकट आए l
छाता की मारन से
मार भगाएं l
मुसीबतों से नही घबराते
सब को नई राह दिखाते l
सब के मन को भाते
इसीलिए दादाजी
विद्वान कहलाते l
राजेंद्र कुमार रुंगटा
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)