मातृभाषा को समर्पित
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( विश्व हिंदी दिवस पर )
हे विश्व विभूषित भाषाहिंदी,
संस्कृत से जन्म जो पाई,
महिमा महान जग छाई।।
शुत्र चतुर्दश माहेश्वर के,
शिव डमरू से पाया।
ऋषी पांणिनी व्याख्यायितकर,
आभूषण पहनाया।
बावनवर्णों से वर्णांका की शोभा हो बढ़ाई,
महिमा महान जग छाई।।
रसना रसमय भामह,
कुंतक,छेमेंद्र, आनंद, बामन में।
वादअलंकृत कुड़,
कवृ के मशीपथा औ मनमें।।
गेय ज्ञानाद्या सूर्यअंश,
अरुणाभा तुमसेपाई,
महिमामहान जगछाई।।
हे विश्व विभूषित भाषा हिन्दी —–
।।जयहिंद-जयहिंदी।।
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लेखक: सूर्य प्रकाश सिंह ‘सूरज’
(वरिष्ठ अध्येता) अरई,कटरा,
संत रविदास नगर (उत्तर प्रदेश )
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