हंसते हंसते लोटपोट
( Hansate hansate lotapot )
खिलखिलाकर हंस पड़े लोटपोट हो गए सारे।
कहकहे गूंज उठे गगन में भी मुस्कुराए तारे।
हंसो हंसाओ सबको आनंद की बरसात हो।
हंसी खुशी में दिन बीते खुशियों भरी रात हो।
हंसी मजाक की बात करें हंसमुख कहलाते वो।
हंस-हंसकर जीवन में स्वर्ण शिखर को पाते वो।
हंसी हंसी में कर जाते संभव सारे काम को।
खुशियों का खजाना हंसी दुनिया में नाम हो।
दिलों की खोल खिड़कियां खुलकर हंसो प्यारे।
जिंदगी बदल जाएगी दमकते भाग्य सितारे।
दुख को हंसी में टालो सुख के खोलो द्वार।
खुशियां दस्तक देती बढ़कर करो सत्कार।
हंसा सको औरों को मुस्कान लबों पर आए।
जमाना भी उसका है जो हंसे और हंसाए।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )