Kavita itihaas ka satya
Kavita itihaas ka satya

इतिहास का सत्य

( Itihaas ka satya )

 

इतिहास परख कर एक एक, देखों उसका परिणाम था क्या।
किस कारण खण्डित हुई धरा, देखों उसका प्रमाण था क्या।
तुम कही सुनी बातों से बचकर, हर तथ्यों से निष्कर्ष गढो,
तब ही तुम सत्य को जानोगे, विध्वंस है क्या निर्माण था क्या।

 

अंग्रेजों और मुगलों से पहले, कैसी थी यह पुण्य धरा।
वेदो और उपनिषदों में, वर्णित जैसी थी यह पुण्य धरा।
ज्ञान सुमंगल होगा जब, आदि से अन्त तक चयन करो,
तब जानोगे देव भूमि सी, पावन थी यह पुण्य धरा।

 

सत्य असत्य के बीच बड़ी ही, पतली सी इक रेखा है।
जैसे मेरे स्वाभिमान कों, सबने अभिमान ही देखा है।
अपने मूल अरू धर्म धरा पर,क्यों ना हम अभिमान करे,
वामपंथी इतिहासकार ही, भारत के गर्त की रेखा है।

 

आओ नव निर्माण करे, उत्थान करे भारत का हम।
सत्य सामने ले आए, इतिहास हटा कर झूठा हम।
बिगुल बजे हुंकार उठे, भारत के हर जन मे मन से,
आओ सत्य समागम करके, ज्ञान बढाए मन से हम।

 

 

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✍?

 

कवि :  शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

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