कभी तुम भी

कभी तुम भी | Kavita Kabhi Tum Bhi

कभी तुम भी

( Kabhi Tum Bhi )

 

तौल तो लेते हो हर किसी को देखकर
कभी खुद को भी तौल लिया करो

बोल तो देते हो जो आये जबान पर
कभी खुद के लिए भी बोल लिया करो

उसके बनाई का श्रम मालूम है उसे
उस जैसी मेहनत खुद भी कर लिया करो

गुजारी हैं रातें कई, पीकर पानी उसने
कभी तुम भी उपवास कर लिया करो

नसिहतों के देने से कभी कुछ नहीं होता
नसिहतों पर अपने हि चल भी लिया करो

ख्वाहिशें कभी कम होती हि नहीं तुम्हारी
कभी तुम भी अभाव के बीच जी लिया करो

मोहन तिवारी

 ( मुंबई )

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