Kavita ki kavita geet
Kavita ki kavita geet

“कविता की कविता”

( Kavita ki kavita )

 

 

अर्थ भावनाओं के जिसके,शब्दों में ढल जाते हैं !
अन्तरतम के वे संवेदन, ही कविता कहलाते हैं !!

 

हर समाज में रहती है यह
चाहे कोई हो भाषा
बनी हजारों लाखों इसकी
कितनी कितनी परिभाषा
प्यार,समझ,विश्वास,त्यागमिल इसकेरूप बनाते हैं
सारे श्रेष्ठ भाव मानवता, के इसमें मिल जाते हैं !!

 

सरलह्रदयकीफुलवारी में
इसके पौधे उग आते
दुनिया में हरकहीं फूलफल
हैं इसके आदर पाते
अपने दुख से बड़े दूसरों, के दुख कब हो जाते हैं
इसके तौर-तरीके सबको,बरबस ही समझाते हैं !!

 

भूख, गरीबी, बदहाली के
सन्त्रासों को आहों को
इसने सदा मिटाना चाहा
जग से तानाशाहों को
कोईअनुचित बोझ न इसके,कोमलतन सहपाते हैं
लेकिन इसके अर्थ तोप,बन्दूकों से चल जाते हैं !!

 

चिन्तक साधूसन्त महात्मा
इसका दर्शन समझाते
इसकीउंगलीपकड़ अनेकों
ईश्वर को भी पा जात
देश प्रकृति संस्कृति सभ्यता,जो इतिहास बनाते हैं
इसके रूपों में ही युगयुग,तक शाश्वत रह पाते हैं !!

 

मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे औ’
राम रहीम बहुत सारे
इसके माध्यम से दुनिया में
बाँट रहे हैं उजियारे
स्वार्थ घृणाऔर बैरभावके,सभी कलुषधुलजाते हैं
जब इसके गंगाजल में हम,अवगाहन करपाते हैं !!

 

इस मन से उस मन तकजाते
इन्द्र धनुष से सेतु नये
इस सुन्दर धरती पर रहते
जीवन के सब रूपों के
कविजन चित्रबनाते इसमें,सूरज चान्द सितारों के
पाठकको संभावनाओंकेसब’आकाश’दिखाते हैं !!

?

Manohar Chube

कवि : मनोहर चौबे “आकाश”

19 / A पावन भूमि ,
शक्ति नगर , जबलपुर .
482 001

( मध्य प्रदेश )

यह भी पढ़ें :-

नहीं लगाना चाह रहे वो मोदी की वैक्सीन | Geet

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here