नारी है अभिमान | Nari par dohe
नारी है अभिमान
( Naari hai abhimaan )
नारायण की शक्ति का, नारी है अभिमान !
नारी है साक्षात इस, प्रकृति का अभियान !!
नारी का तप ही करे , पंच तत्व आव्हान
कर प्राणों की सर्जना, जीवन का संधान !!
प्रकृति का साकार है , नारी ही उपमान
उसमें होते समादृत, जीवन के सोपान !!
अर्चन, पूजन, वन्दना, और पूर्ण सम्मान
करके यह जग पा रहा,हर इच्छित वरदान !!
इच्छा अभिमत प्रेरणा, या सहयोगी काम
नारी ने जग को दिया,है सब कुछ निष्काम !!
जप तप हर अभ्यर्थना,ईश यजन अभिराम
आशा आकांक्षा सहित, वरदानों का नाम !!
तृण से गुरुतर वृक्ष तक इसजग का हरधाम
जन्म और जीवन लिखे, नारी का ही नाम !!
जगती के जो भी चले, यात्रा के आयाम
नारी ने संवृत किये, सभी शीत और घाम !!
सृष्टि बिंदु से आदि कर, संवर्धित हर याम
प्रकट प्रबलअनुराग से,विरत विकट उपराम !!
नर कोजब जो भी मिला,अनुकूलित या वाम
इति अति संहृति परिणती, सब नारी के नाम !!
स्वप्न, कामना, वासना, या पूजा का नाम
नारी में ही समादृत , रहे सदा अविराम !!
सीता, तारा, द्रौपदी , अनसुइया से नाम
राधा, रुक्मिणि, अहिल्या,से चरित्रअभिराम !!
कौशल्या या अंजना , या कुंती सम नाम
गांधारी मंदोदरी , सी माता दुख धाम !!
नारी प्रकृति शक्ति है, आदि शक्ति सन्नाम
प्रगति निरतिउपरति विरति,रति संवृत्तिललाम !!
कवि : मनोहर चौबे “आकाश”
19 / A पावन भूमि ,
शक्ति नगर , जबलपुर .
482 001
( मध्य प्रदेश )