नैनो का अंदाज़ जुदा | Nain par Kavita
नैनो का अंदाज़ जुदा
( Naino ka andaz juda)
आंखें सबकी एक जैसी देखने का अंदाज़ जुदा।
नज़ाकतें भांति भांति की नजरें होती जब फिदा।
कोई तिरछी नजरें झांके टिक टिक नजर गढ़ाए।
ललचाई आंखों से कोई मन ही मन मलाई खाए।
नेह सी आंखों से झरते अनमोल मोती प्यार भरे।
खुल जाते दिल के दरवाजे लगते नजारे हरे भरे।
लाल-लाल आंखें बरसाती नैन तीर अंगारों के।
कारे कजरारे नैन बुलाते मौसम कई बहारों के।
कौतूहल भरी सी आंखें विस्मित करें जादूगरी।
झील सी आंखें लगती उतर आई हो कोई परी।
गुलाबी सी मदमाती सी नशे में होकर चूर नजर।
खुशियों में झूम उठता नाचता गाता सारा शहर।
नैनों के अंदाज निराले अंगार भी बरसे प्यार भी।
आंखों आंखों में बातें होती भाव भरी रसधार भी।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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