नये साल में | Kavita naye saal mein
नये साल में!
( Naye saal mein )
आओ मोहब्बत का फूल खिलाएँ नए साल में,
बहे न कहीं इंसानियत का लहू, नए साल में।
अंधेरे न लूट पाएँ अब उजालों की दौलत,
कोई गमगीन लम्हा न फटके नये साल में।
धरती भी महके और ये फिजायें भी महकें,
उगेंगे ख्वाबों के दरख्त देखो नए साल में।
कोई दुनिया को हिला दे इससे क्या फायदा?
आने वाले दिन मुस्कुराएँगे नये साल में।
धड़कन चलने का अर्थ नहीं कि तुम जिन्दा हो,
फिर होंगे इंकलाबी पैदा नये साल में।
यही जमीं रहेगी और यही आसमां रहेगा,
हम एक नई दुनिया बसायेंगे नये साल में।
कोई किसी के नसीब को जंजीर में ना बाँधे,
हरेक के नसीब संवरेगे इस नए साल में।
आओ भाई पत्थरों को मिलके निचोड़ा जाए,
अब कोई सूखने न पाए नदी नये साल में।
तितलियों के पंख में आए और देखो निखार,
बोझ हो सभी के सिर का हल्का नये साल में।
उसूलों पे चलना सीख लो, भले हो नुकसान,
पर्वतों से ऊँचा हौसला रखो नये साल में।
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