वनिता सुरभि,पारिजात ललांत सी

 

कोमल निर्मल सरस भाव,
अंतर प्रवाह विमल सरिता ।
त्याग समर्पण प्रतिमूर्ति,
अनंता अत्युत्तम कविता ।
सृजन उत्थान पथ पर,
महिमा मंडित सुकांत सी ।
वनिता सुरभि, पारिजात ललांत सी ।।

स्नेहगार ,दया उद्गम स्थल,
अप्रतिम श्रृंगार सृष्टि का ।
पूजनीय कमनीय शील युत,
नैतिक अवलंब दृष्टि का ।
उमा रमा शारदा सरिस,
उत्संग मोहक बिंदु विश्रांत सी।
वनिता सुरभि, पारिजात ललांत सी ।।

अद्भुत तेज पुंज उज्ज्वल,
जग ज्योति अखंडित ।
हर युग अति गुणगान,
गरिमा महिमा शीर्ष मंडित ।
ऊर्जस्वित कर प्राण सकल ,
शक्ति भक्ति प्रेरणा दृष्टांत सी ।
वनिता सुरभि, पारिजात ललांत सी ।।

संस्कृति संस्कार धर्म रक्षक,
परंपरा मर्यादा युक्त चरित्र ।
नैतिक सात्विक पथ गामिनी ,
व्यक्तित्व कृतित्व पवित्र ।
अथक श्रम उत्सर्ग साधना,
सदा प्रणत प्रभा सुशांत सी ।
वनिता सुरभि, पारिजात ललांत सी ।

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

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