Pyara Saja Tera Dwar Bhawani
Pyara Saja Tera Dwar Bhawani

प्यारा सजा तेरा द्वार भवानी

( Pyara Saja Tera Dwar Bhawani ) 

 

प्यारा सजा तेरा द्वार भवानी।
तू जग की है करतार भवानी।
मेरा कर दो बेड़ा पार भवानी।
आया हूं मैया तेरे द्वार भवानी।

सबकी झोली भरने वाली।
पीर जगत की हरने वाली।
यश कीर्ति वैभव की दाता।
मेरे दुखड़े दूर करने वाली।

नैया मेरी है मंझधार भवानी।
तू ही अब खेवनहार भवानी।
प्यारा सजा तेरा द्वार भवानी।
मै लाया हूं सुमनहार भवानी।

रिद्धि सिद्धि सुमति देने वाली।
अंबिका साधक सुध लेने वाली।
रणचंडी दानव दलनी हे भवानी।
जगदंबा सौम्य रूप धरने वाली।

 

सिंह पे सवार होकर माता रानी आ गई

 

सिंह पे सवार होकर, माता रानी आ गई।
लाल चुनरिया ओढ़े, मां दर्शन दिखा गई।

भरने भंडार सारे, जय जयकार तेरे द्वारे।
अष्टभुजाओं वाली, हरो मैया कष्ट हमारे।

सजा दरबार मैया, खुशहाली सी छा गई।
सिंह पे सवार होकर, माता रानी आ गई।

सब सुख देने वाली, कृपा बरसाने वाली।
जगदंबा मात भवानी, सृष्टि चलाने वाली।

जगमग जोत ज्वाला, ध्वजा नारियल अंबे।
भक्त पड़े मैया शरण में, महर करो जगदंबे‌‌।

इंतजार की घड़ी गई, रौनक सी छा गई।
सिंह पे सवार होकर, माता रानी आ गई।

 

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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