![Poem on Raksha Bandhan in Hindi Poem on Raksha Bandhan in Hindi](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2023/08/Poem-on-Raksha-Bandhan-in-Hindi-696x464.png)
अपना रक्षा बंधन
( Apna Raksha Bandhan )
राखी के दिन माँ
सुबह तड़के उठ जाती थी
द्वार पर पूजने को सोन
सैवंईयो की खीर बनाती थी
लड़कियाँ घर की लक्ष्मी
होती हैं इस लिए
वह द्वार पूजा हमसे
करवाती थी
दिन भर रसोई में लग
बूआओं की पसंद का
खाना बनाने में वो
खुद को भूल जाती थी
बुआ को उपहार में देने में
वह बाज़ार से सबसे सुंदर
साड़ी चुन कर लाती थी
मेरे पास बहुत साड़ी है
कह कर वह पुरानी साड़ी
में ही सब त्यौहार मनाती थी
बहनों का भाई होने का अर्थ
वह भाई को कृष्ण-द्रौपदी
की कहानी के माध्यम से
समझाती थी।
सदैव बहनों की रक्षा करना
यह वो भाई को और
सदैव भाई का सुख दुख
में साथ निभाना यह
वो हम बहनों को समझाती थी
सूत के कच्चे धागे का
मज़बूत रिश्ता क्या होता है
वह हमको बतलाती थी
अपने भाई के इंतज़ार में
वह अक्सर सारा दिन
भूखी रह जाती थी
आते थे जब उनके भाई
माँ किसी छोटी बच्ची
जैसी ख़ुश हो जाती थी
बांध एक राखी कलाई पर
अपने भाई की ,
वह उसको लाखों के
आशीर्वाद दे देती थी
मामा के छोटे से तोहफ़े से
मानो उसकी
पूरी तिजोरी भर जाती थी
माँ का भ्राता प्रेम आज
भी बहुत याद आता है
आज भी रक्षा बंधन का
त्यौहार आता है
आज भी माँ द्वार पर
सोन पूजती है
आज भी माँ अपने भाई
के लिए राखी का थाल
सजाती हैं
पर भाई की कलाई पर
राखी बांधने को
यह हाथ वहाँ तक नहीं
पहुँच पाता है
परदेस में बसे भाई को
वो दिल से दुआएँ देती है
घर के मंदिर में विराजे
कृष्णा को राखी बांध
वह अपना रक्षा बंधन यूँ मना लेती है
डॉ. ऋतु शर्मा ननंन पाँडे
( नीदरलैंड )
*स्वतंत्रत पत्रकार, लेखिका