प्रतिज्ञा
( Pratiggya )
भीष्म प्रतिज्ञा की भीष्म ने महाभारत के काल में
कौरव पांडव राज करे रहूं अविवाहित हर हाल में
जुए में हार गये पांडव दुशासन ने दुस्साहस किया
प्रतिज्ञा द्रोपदी ने कर केशों को खुला छोड़ दिया
राष्ट्रप्रेम में देशभक्ति में देशभक्त प्रतिज्ञा करते हैं
सार्वभौम सुरक्षा कर हुंकार वंदे मातरम भरते हैं
प्रतिज्ञा संकल्पों से कार्य सिद्धि मिल जाती है
मन को मिलती दिव्य शक्ति हौसला बढ़ाती है
जीवन में उत्कर्ष चाहे तो लक्ष्य तक जाना होगा
मंजिलें पाने को दृढ़ संकल्प हमें बनाना होगा
सफलता पाने प्रण कर विजय का वरण कर लो
प्रतिज्ञा सच्ची करनी हो तो सेवा सत्कर्म कर लो
घर परिवार राष्ट्र उन्नति जनमन सब सदाचार करें
देश हित में प्रतिज्ञा कर मधुरता का व्यवहार करें
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )