सागर पांव पखारे | Kavita Sagar Paon Pakhare
सागर पांव पखारे
( Sagar Paon Pakhare )
मस्तक पर है मुकुट हिमालय,
सागर पांव पखारे !
गोदी में खेले राम, कृष्ण,
अवतार लिए बहु सारे !!
भारत मां का रुप सलोना,
देख मगन जग वाले !
धन्य धन्य हे आर्य पुत्र, है
अनुपम भाग्य तुम्हारे !!
निर्झर झरने, मीठी नदियां,
शस्य श्यामला धरती !
सुख संपत्ति अन्न-धन से, है
सबके घर को भरती !!
सुरभित मलय, सुशोभित कलियां,
आनंदित कर जाती !
देख मनोरम दृश्य प्रकृति का,
हिय सबके बस जाती !!
नाचे मोर पपीहा बोले,
कोयल तान सुनाती !
पायल की छम छम से पनघट,
सबके हिय हर्षाती !!
सुंदरवन, बौराई बगिया,
आह्लादित है सारे !
अद्भुत नगर, सलोने उपवन,
स्वस्थ सुखी, जन प्यारे !!
भारत मां का रूप सलोना,
देख मगन जग वाले !
धन्य धन्य हे आर्य पुत्र, है
अनुपम भाग्य तुम्हारे !!
कमलेश विष्णु सिंह “जिज्ञासु”
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