समझ नहीं आता | Kavita Samajh Nahi Aata
समझ नहीं आता
( Samajh Nahi Aata )
कैसी ये उहापोह है
समझ नहीं आता
क्यों सबकुछ पा जाने का मोह है
समझ नहीं आता
लक्ष्य निर्धारित किए हुए हैं
फिर भी कैसी ये टोह है
समझ नहीं आता
खुशियों के संग की चाहत है
रिश्तों से फिर क्यों विछोह है
समझ नहीं आता
शिखा खुराना