Sawalo ke Ghere Mein
Sawalo ke Ghere Mein

सवालों के घेरे में

( Sawalo ke ghere mein )

जहां तक संभव हो
आपसी संबंधों के बीच में
आप निर्णायक ना बने
आज नहीं तो कल
हल हो ही जाएगी उनकी समस्याएं
किंतु आप आ सकते हैं सवालों के घेरे

नीयत किसी की भी साफ नहीं
माहौल हावी है सभी पर
कोई कहीं से कमजोर है तो कोई कहीं से जबर
रहा नहीं अब किसी में सबर

आप महज अपनी क्षणिक भूमिका में
अंतराल के मूल को समझ नहीं पाएंगे

रिश्ते बनने में देर नहीं लगती
निभाने के लिए
बहुत संभालना पड़ता है
जिनके अपनों के बीच ही दरार बढ़ी हो
उनसे आपकी दरार भरे
यह मुमकिन नहीं होगा
उल्टे आप आ सकते हैं दरार के बीच

हम स्वयं को संभाले रहे
यह भी कम नहीं है
आज की दौड़ में
हर कदम के आगे कुआं और हर कदम के पीछे खाई है
चलना आपको है सोचना आपको है
रिश्ते बनेंगे कैसे यह समझना भी आप ही को है

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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