समय ने ऐसी करवट बदली
( Samay ne aisi karwat badli )
मैं क्या होता और कहां जाता,
कैसा हमारा हाल हुआ होता।
अगर मैं वहां पर चला जाता,
फिर कितना नाम कमा जाता।।
ईश्वर को देश सेवा मंजूर था,
जो आज में यही कर रहा।
आज मोबाइल जो आ गया,
अपना दबा राज बता रहा।।
एक नही व दो चार नही,
ऐसे दर्जनों ख़त मेरे पास आये।
कोई बम्बई तो कोई दिल्ली से,
जोधपुर से मुझे बुलावे आये।।
समय ने ऐसी करवट बदली,
CRPF जोईन फिर मेने कर लिया।
और देश सेवा में अपना नाम,
सुनहरे अक्षरों में लिखवा दिया।।
आज कोरोना के चलतें मैंने,
अपना दुखड़ा सुनाया है।
और सभी पत्र मिटा दिया मैंने,
एक पत्र बेटे के पास पाया है ।।
समय बड़ा बलवान है मित्रों,
आज समय मुझको यह बता रहा।
अपनें हाथ से कविता लिखकर,
गणपत आप सबको बता रहा।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )
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