शहर रात भर रोता रहा | Kavita shahar raat bhar rota raha
शहर रात भर रोता रहा
( Shahar raat bhar rota raha )
त्रासदी ने झकझोर दिया भारी नुकसान होता रहा
त्राहि त्राहि कर उठा हृदय शहर रात भर रोता रहा
जाने किसकी नजर लगी क्या अनहोनी आन पड़ी
खुशियां सारी खफा हो गई जिंदगियां बेजान खड़ी
कुदरत का कोई कहर था कितना सुंदर शहर था
वक्त बेरहम हो गया अब लगता कोई जहर था
मंजर दर्दनाक हुआ सारा शहर खौफनाक हुआ
रोंगटे खड़े हो गये सबके हादसा खतरनाक हुआ
सिहर उठा शहर सारा कांप गया हर कोना-कोना
भयावह दृश्य सारा जाने किसने किया जादू टोना
मुश्किलों भरा दौर वो कलेजा सबका झंझोता रहा
नयनों में ठहरा दर्द पीर का रात भर शहर रोता रहा
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )